हवामहल :-
• कुल खिड़कियाँ 953
• झरोखे- 363 / 365
- सवाई प्रताप सिंह ने इस महल का निर्माण अपनी रानियों को तीज / गणगौर की सवारी दिखाने हेतु करवाया।
- 1983 में इस हवामहल संग्रालय का रूप दिया गया।
• निर्माण – 1799 ई. सवाई प्रतापसिंह
• वास्तुकार – लालचंद
• आकृति- कृष्ण के मुकुट के समान
• प्रताप मंदिर- यह भवन भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा को समर्पित है।
चन्द्रमहल / सिटीपैलेस – जयपुर-
प्रवेश द्वार:- इसका निर्माण – 1729-1732ई. में सवाई जयसिंह ने करवाया था।  
- इसके वास्तुकार विद्याधर चक्रवर्ती थे।
- मुबारक महल / वेलकम महल – राजपूत-मुगल शैली में निर्मित
निर्माण-  इसका निर्माण माधोसिंह ने करवाया था।
साज-सजावट - A.H. मूलर (जर्मनी) मानसिंह द्वितीय द्वारा।
- इसी महल के भीतर ईश्वरी सिंह की छतरी विद्यमान है।
- इसी महल में गोविंद देव जी का मंदिर स्थित है, जिसका निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था।
- विश्व का सबसे बड़ा चाँदी का कलश भी इसी महल में स्थित है, जिसका निर्माण माधोसिंह ने करवाया था।
- इसी महल में एक पोथीखाना स्थित है।
- यह महल जयपुर के राजपरिवार का निवास स्थल है।

मानसागर झील –
- इस झील का निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था।
- इसका पूर्ण निर्माण सवाई प्रताप सिंह ने 1799ई. में करवाया था।

- सवाई जयसिंह द्वारा आयोजित अश्वमेघ यज्ञ में आमंत्रित ब्राह्मणों के निवास स्थल हेतु। 
- अंतिम हिंदू नरेश सवाई जयसिंह था, जिसने अश्वमेघ यज्ञ संपन्न करवाया था।
- इस यज्ञ का प्रमुख पुरोहित पुण्डरिक रत्नाकर थे।
- वर्तमान में इस झील को पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित किया गया है।
- गर्भावती नदी के पानी को रोककर इस झील का निर्माण किया गया था।

सामोद का महल-
- इसमें स्थित शिशमहल का निर्माण शिवसिंह ने करवाया था।
- यह महल राजस्थानी एवं हरियाणवी गानों की शुटिंग का केन्द्र है।
- वर्तमान में यहाँ होटल संचालित है।
- सामोद महल – चौमूं (जयपुर) में स्थित है।
- इस महल में एक अन्य सुल्तान महल भी स्थित है।
- इस स्थान पर राजस्थान का चौथा रोप-वे 25 मई, 2019 को स्थापित किया गया।
- यहाँ पर पशु-पक्षियों के चित्रों का निर्माण बिहारीदास ने किया था।
- यहाँ पर वीर हनुमान जी का मंदिर स्थित है।

•  अल्बर्ट हॉल :- जयपुर
-  निर्माण – रामसिंह-II द्वारा
-  प्रिंस ऑफ अल्बर्ट के जयपुर आगमन पर 6 फरवरी, 1876 ई. नींव रखी गई।
-  वास्तुकार – एस. जैकब स्टीवन
-  उद्घाटन – 1887 ई. में माधोसिंह II के काल में AGG ब्रेडकोर्ड द्वारा किया गया।
-  यह राजस्थान का प्रथम संग्रहालय है।
-  यह भवन भारत-फारसी शैली में निर्मित है।
-  इस भवन में जयपुर राजा-महाराजाओं के चित्र चित्रित है।
-  जयपुर की हृदयस्थली रामनिवास बाग में स्थित
-  निर्माण – 1860 ई. रामसिंह II

 रामबाग पैलेस :- जयपुर
-  निर्माण – रामसिंह II
-  वर्तमान में यह होटल रामबाग पैलेस के रूप में संचालित है।
•  सिसोदिया रानी का महल :- जयपुर
-  निर्माण – 1728 ई. सवाई जयसिंह द्वारा
-  इस महल का निर्माण सिसोदिया रानी चन्द्र कंवर के लिए करवाया गया था।
-  यह मेवाड़ महाराणा अमरसिंह-II की पुत्री थी।
-  इस महल में चन्द्रा कंवर ने माधोसिंह को जन्म दिया।
-  यह NH-11 के किनारे स्थित है।
•  मोती डूँगरी महल :- जयपुर
-  निर्माण – सवाई माधोसिंह
-  यह महल मोती डूँगरी पहाड़ी पर स्थित है।
-  इस महल का पुन: निर्माण मानसिंह-II की पत्नी गायत्री देवी ने अपने निजी निवास हेतु करवाया था।
-  इन महलों को तख्तशाही महल भी कहते हैं।
•  खेतड़ी महल :- झुंझुनूं
-  निर्माण –
भूपालसिंह
-  भूपाल सिंह ने इस महल का निर्माण ग्रीष्मकालीन निवास स्थल हेतु करवाया था।
-  इस महल की छत लकड़ी से निर्मित है।
-  इस महल में अजीतसिंह के काल में विवेकानंद जी ने उपदेश दिए थे।
-  अन्य नाम :- 
- इसे राजस्थान का ‘भूल-भूलैया महल’ भी कहा जाता है। 
-  वास्तविक भूल-भूलैया महल लखनऊ (U.P.) में स्थित है।
-  इसे ‘शेखावाटी का हवामहल’ कहा जाता है।
-  इसे राजस्थान का ‘दूसरा हवामहल’ भी कहा जाता है।
•  विजय मंदिर पैलेस :- अलवर
-  निर्माण –
जयसिंह (अलवर शासक)
-  इस महल में सीताराम का मंदिर स्थित है।
-  रामनवमी (चेत्र शुक्ल 9) को यहाँ मेला आयोजित किया जाता है।
•  सरिस्का पैलेस :- अलवर
-  निर्माण –
जयसिंह
-  ड्यूक ऑफ एडिन बर्ग को शिकार करवाने हेतु इस महल का निर्माण करवाया गया था।
-  वर्तमान में यहाँ टाईगर डेस/सरिस्का पैलेस होटल संचालित किया जा रहा है।
•  विनय पैलेस :- अलवर
-  निर्माण –
विनयसिंह
-  यह अलवर का नक्काशीदार महल कहलाता है।
-  यहाँ सैढ़ माता मंदिर स्थित है।
-  सिटी सेढ़ झील – अलवर
-  इस झील का निर्माण विनयसिंह ने अपनी रानी सीला के नाम पर करवाया था।
-  सीलीसेढ़ महलों का निर्माण – विनयसिंह।
•  सुनहरी कोठी :- टोंक
-  निर्माण प्रारंभ – बजीऊद्दौला द्वारा
-  वास्तविक निर्माण – 1870 इब्राहिम अली खान द्वारा
-  प्रारम्भिक नाम – जरनिगार
-  यह कोठी कांच व सोने की आकर्षक नक्काशी हेतु प्रसिद्ध है।
-  यहा राजस्थान का भव्य शिशमहल स्थित है।
-  इस कोठी की छत सोने से निर्मित है।
-  मुबारक महल - टोंक
-  मुबारक महल मुस्लिम शैली में निर्मित
-  यहां बकरा ईद के दिन ऊँट की कुर्बानी दी जाती है।
-  ऊँट की कुर्बानी सर्वप्रथम 1817 ई. अमीरद्दौला के काल में प्रारंभ की गई। 

•  उम्मेद भवन :- जोधपुर
-  निर्माण –
उम्मेद सिंह
-  अवधि – 1928-1943
-  वास्तुकार – जैकब स्टीवन और लाचेस्टर 
-  इस भवन में कुल 347 कमरे हैं।
-  इस भवन का निर्माण अकाल राहत कार्य हेतु करवाया गया।
-  यह विश्व का सबसे बड़ा रहवासी महल है।
-  छीतर के पत्थरों से निर्मित होने के कारण छीतर पैलेस कहा जाता है।
-  यह भवन तीन भागों में विभक्त –
  1. राज परिवार का निवास स्थल
  2. ITC (ताज समूह का होटल संचालित)
  3. संग्रहालय
•  अजीत भवन :- जोधपुर
-  निर्माण –
जोधपुर के प्रधानमंत्री सर अजीत सिंह ने करवाया।
-  यह भारत का प्रथम हैरिटेज होटल है।
-  नोट :- मार्च, 2003 तक 75 वर्ष पूर्ण कर चुकी सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्व की ईमारतों को हैरिटेज होटल की संज्ञा दी गई।
•  राई का बाग पैलेस :- जोधपुर
-  निर्माण – जसवंत सिंह I की हाड़ी रानी जसवंतदे द्वारा 1663 ई. में।
-  स्वामी दयानंद सरस्वती अपने जीवन के अंतिम उपदेश इसी स्थान पर दिये (1883 ई.) थे।
-  इन उपदेशों के समय जोधपुर शासक का जसवंत सिंह-II था।
•  एक थम्भा/थम्भा महल :- मण्डोर, जोधपुर
-  इसे प्रेहरी मीनार भी कहा जाता है।
-  इसका निर्माण 1715 ई. अजीत सिंह ने करवाया था।
-  इसे पत्थरों की जालियों वाला महल भी कहा जाता है।
-  इस महल का निर्माण हल्के पीले खाटु/धातु पत्थरों से हुआ है।
•  काण्ठ महल :- झालावाड़
-  इसे रैन-बसेरा भी कहते हैं।
-  इस महल का निर्माण वन शोध संस्थान देहरादुन द्वारा करवाकर 1936 ई. में लखनऊ प्रदर्शनी में रखा गया।
-  झालावाड़ शासक राजेन्द्र सिंह 1936 ई. में इसे लखनऊ प्रदर्शनी में लेकर आए।
•  जूनामहल :- डूँगरपुर
-  निर्माण –
रावल वीर सिंह 1282 ई.
-  यह महल धनाभा पहाड़ी की तलहटी में स्थित है।
-  यह सात मंजिला महल है।
-  यह कांच की कलाकारी हेतु प्रसिद्ध है।
•  एक थम्बिया महल :- डूँगरपुर 
-  निर्माण –
शिवसिंह 
•  गैप/गैब सागर झील :- डूँगरपुर
-  सर्वान्त महल यहां बादल विलास महल उदय विलास महल स्थित हैं।
•  कालीबाई का स्मारक
-  कालीबाई राजस्थान में साक्षरता की देवी के रूप में जानी जाती है।
-  इसे राजस्थान का एकलव्य भी कहा जाता है -
-  यह एक भील छात्रा थी।

उदयपुर के महल

पिछौला झील - उदयपुर

निर्माण - पिच्छुबन्जारा द्वारा राणा लाखा के काल में निर्मित है।

नींव - कर्ण सिंह

जगत निवास मंदिर

निर्माण - जगत सिंह -I

1857 की क्रान्ति के समय मेवाड़ महाराणा स्वरूप सिंह अंग्रेज मेजर शावर्स एवं नीमच के अंग्रेज परिवारों को इसी महल में शरण दी।

जहाँगीर के पुत्र खुर्रम को भी इस महल में शरण दी गई थी।

निर्माण - जगत सिंह II

वर्तमान में होटल लैक पैलेस संचालित है।

सज्जन पैलेस - उदयपुर

निर्माण - सज्जन सिंह

निर्माण पूर्ण - फतेह सिंह व भूपाल सिंह ने पूर्ण करवाया।

उपनाम -

वाणी विलास

उदयपुर की मुकुरमणि

मानसुन पैलेस

इस महल में गुलाब उद्यान स्थित है।

इस झील के किनारे सौरवैधशाला स्थित है।

यह पैलेस फतेहसागर झील के किनारे स्थित है।

इस झील का निर्माण - फतेह सिंह ने करवाया था।

इसकी नींव - डयुक ऑप कनॉट ने रखी थी। इसलिए इसे कनौट झील भी कहा जाता है।

अबली मीणी का महल - कोटा

निर्माण - मुकुंद सिंह

यह महल मुकंदरा पहाड़ियों में स्थित है।

कर्नल जेम्स टॉड ने इसे छोटा ताजमहल व राजस्थान का दूसरा ताजमहल कहा।

Note : राजस्थान का ताजमहन जसवंत थड़ा (जोधपुर) को कहा जाता है, जिसका निर्माण 1906 ई. में जसवंत सिंह II की स्मृति में सरदार सिंह ने करवाया था।

डीग के जलमहल - भरतपुर

डीग के जलमहलों का निर्माण सुरजमल जाट व बदन सिंह के द्वारा करवाया गया था।

डीग के प्रमुख जलमहल

नंदभवन, केशवभवन, फव्वारा महल, सावन-भादौ महल

Note : राजस्थान में जलमहलों की नगरी-डीग भरतपुर को कहा जाता है।

सावन भादौ महल - डीग भरतपुर

सावन भादौ झरना - जोधपुर

सावन भादौ नहर - कोटा

सावन भादौ झील - सिरोही

सावन भादौ कडाईयाँ - देशनोक (बीकानेर)

नवलखा महल - उदयपुर

नवलखा झील - बूँदी

नवलखा बावड़ी - डूँगरपुर

नवलखा दरवाजा - रणथम्भौर दुर्ग

नवलखा बुर्ज/स्तंभ - चित्तौड़गढ़

नवलखा दुर्ग - झालावाड़

बादल महल - कुंभलगढ़ - राजसंमद

राजस्थान का सबसे ऊँचा बादल महल - जैसलमेर

सोने की कला कृति हेतु प्रसिद्ध बादल महल - बीकानेर

वास्तविक बादल महलो का आभास - नागौर के बादल महल

गुलाब महल - कोटा

अभेदा महल - कोटा

निर्माण  - अभय सिंह

इसे हाड़ौती का हवामहल कहते है।

कोटा का हवामहल - कोटा

निर्माण - विष्णु सिंह

बनेड़ा महल - भीलवाड़ा

निर्माण - सरदार सिंह

सुख महल - बूँदी

निर्माण - जैत सिंह

लालगढ़ पैलेस - बीकानेर

निर्माण - गंगा सिंह

पंच महल - बैराठ - जयपुर

निर्माण - मान सिंह I

इस महल का निर्माण अकबर की विश्राम स्थली के रूप में करवाया गया।

राजमहल - उदयपुर

निर्माण - उदय सिंह

यह महल उदयपुर के राजपरिवार का निवास स्थल है।

फर्ग्युसन ने इन महलों को ‘विंडसर महल’ कहा है।

इस महल में महाराणा प्रताप का भाला स्थित है।

राणा प्रताप के स्मारक के रूप में पहचाना।