वन्य जीव संरक्षण
- वन्य जीवों की दृष्टि से राजस्थान का असम के बाद दूसरा स्थान है।
- मूल संविधान (26 जनवरी, 1950) में वन्य जीव विषय राज्य सूची का भाग था।
- 23 अप्रैल, 1951 को राजस्थान राज्य वन्य जीव-पक्षी संरक्षण अधिनियम, 1951 लागू किया गया।
- राजस्थान राज्य वन्य जीव-पक्षी संरक्षण अधिनियम, 1951 के तहत वर्ष 1955 में राज्य में वन्य जीव बोर्ड का गठन किया गया।
- प्रथम पर्यावरण सम्मेलन (5 जून, 1972- स्टॉकहोम, स्वीडन) के लक्ष्यों की प्राप्ति, वन्य जीव संरक्षण हेतु भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 बनाया गया।
- भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 9 सितम्बर, 1972 में जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़कर शेष भारत में लागू किया गया।
- यह राजस्थान में 1 सितम्बर, 1973 में लागू किया गया।
- 1 अप्रैल, 1973 को डॉ. कैलाश साँखला (टाईगर मैन ऑफ इण्डिया) के प्रयास से भारत में बाघ संरक्षण हेतु बाघ परियोजना (टाईगर प्रोजेक्ट) को प्रारंभ किया।
- भारत की प्रथम बाघ परियोजना जिम कार्वेट (उत्तराखण्ड) में प्रारम्भ की गई।
- राजस्थान में टाईगर प्रोजेक्ट वर्ष 1974 में प्रारम्भ किया गया।
- 42वें संविधान संशोधन वर्ष 1976 के द्वारा वन्य जीव विषय को राज्य सूची से हटाकर समवर्ती सूची में शामिल किया गया।
- भारतीय संविधान में वन्य जीव संरक्षण का उल्लेख-
1. समवर्ती सूची
2. नीति निदेशक तत्त्व (अनुच्छेद 48(A)-भाग-4)
3. मूल कर्त्तव्य (अनुच्छेद 51(A)-भाग-4(A) के तहत है।)
- भारतीय पर्यावरण संरक्षण अधिनियम वर्ष 1986 -19 नवम्बर, 1986 में जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़कर शेष भारत में लागू किया गया।
- भारतीय जैव विविधता संरक्षण अधिनियम, 2002 के तहत राष्ट्रीय जैव विविधता बोर्ड 5 फरवरी, 2003 में बनाया गया।
- राज्य जैव विविधता बोर्ड 14 सितम्बर, 2010 में किया गया।
- वर्ष 2015 में राजस्थान में वन्य जीव संरक्षण हेतु जिला वन्य जीव पक्षी घोषित किया गया।
क्र.सं. |
जिला |
वन्य जीव |
1. |
श्रीगंगानगर |
चिंकारा |
2. |
बीकानेर |
बटवड़ (भट्टतीतर/रेत का तीतर) |
3. |
जैसलमेर |
गोड़ावण |
4. |
बाड़मेर |
मरु लोमड़ी |
5. |
जालोर |
भालू |
6. |
सिरोही |
जंगली मूर्गे |
7. |
उदयपुर |
बिज्जु |
8. |
डूँगरपुर |
जंगली धोक |
9. |
बाँसवाड़ा |
जलपीपी |
10. |
प्रतापगढ़ |
उड़न गिलहरी |
11. |
चित्तौड़गढ़ |
चौसिंग/घटेल |
12. |
भीलवाड़ा |
मोर |
13. |
झालावाड़ |
गागरोनी तोता |
14. |
बाराँ |
मगर |
15. |
कोटा |
उदबिलाव |
16. |
सवाई माधोपुर |
बाघ |
17. |
करौली |
घड़ियाल |
18. |
धौलपुर |
पंछीड़ा |
19. |
भरतपुर |
सारस |
20. |
अलवर |
सांभर |
21. |
जयपुर |
चीतल |
22. |
सीकर |
शाहीन |
23. |
झुंझुनूँ |
काला तीतर |
24. |
चूरू |
कृष्ण मृग |
25. |
हनुमानगढ़ |
छोटा किलकिल |
26. |
नागौर |
राजहंस |
27. |
जोधपुर |
कुरजां |
28. |
पाली |
पैंथर |
29. |
राजसमंद |
भेड़िया |
30. |
अजमेर |
खड़मोर |
31. |
टोंक |
हंस |
32. |
दौसा |
खरगोश |
33. |
बूँदी |
सुर्खाब |
राजस्थान में वन्यजीव संरक्षण के प्रयास:-
राष्ट्रीय उद्यान:-
- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम वर्ष 1972 के तहत किसी विशिष्ट प्रजाति के लिए अधिसूचित क्षेत्र जिसका संचालन केन्द्र सरकार करती है। वह राष्ट्रीय उद्यान की श्रेणी में आते हैं।
- राजस्थान में राष्ट्रीय उद्यान तीन है।
1. रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान:- सवाई माधोपुर
- इसकी स्थापना वर्ष 1955 में वन्य जीव अभयारण्य के रूप में की गई।
- 1 नवम्बर, 1980 को रणथम्भौर को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।
- यह राजस्थान का पहला राष्ट्रीय उद्यान है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।
- वर्ष 1998 से 2004 के मध्य 6 वर्ष के लिए विश्व बैंक के सहयोग से इको इण्डिया डवलपमेंट प्रोजेक्ट चलाया गया।
- यह राष्ट्रीय उद्यान बाघ के लिए प्रसिद्ध है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में धौंक एवं ढाक के वृक्ष पाए जाते हैं।
- रणथम्भौर दुर्ग, जोगी महल, त्रिनेत्र गणेश मंदिर, पदम तालाब, मलिक तालाब, गिलोई सागर, राज बाग तालाब, लाभपुर/लाहपुर झील ये सभी रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान में स्थित हैं।
2. केवलादेव घना पक्षी विहार राष्ट्रीय उद्यान:-
- यह भरतपुर में स्थित है जिसकी स्थापना वर्ष 1956 में की गई थी और 27 अगस्त, 1981 को इसे ‘राष्ट्रीय उद्यान’ का दर्जा दिया गया।
- यह राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा अभयारण्य है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण केवलादेव शिव मंदिर के नाम पर किया गया।
- इस राष्ट्रीय उद्यान को पक्षियों का स्वर्ग, पक्षियों की आश्रय स्थली कहा जाता है और यह साइबेरियन सारस के लिए प्रसिद्ध है।
- यहाँ कदम्ब के वृक्ष पाए जाते हैं और यहाँ पाइथन (अजगर) प्वाइंट स्थित है।
स्वर्णिम त्रिभुज:-
- यह एक पर्यटन परिपथ है।
- पर्यटन के आधार पर:-
- यह राष्ट्रीय उद्यान स्वर्णिम त्रिभुज का भाग है जो जयपुर व आगरा के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर भरतपुर में स्थित है।
- केवलादेव घना पक्षी विहार को रामसर साइट का दर्जा वर्ष 1983 में दिया गया।
- केवलादेव घना पक्षी विहार को यूनेस्को की प्राकृतिक विश्व धरोहर में सूचीबद्ध वर्ष 1985 में किया गया।
3. मुकुन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान:-
- यह राष्ट्रीय उद्यान कोटा-झालावाड़ में फैला हुआ है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1955 में की गई और 9 फरवरी, 2006 को 2012 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।
- यह राजस्थान का तीसरा एवं नवीनतम राष्ट्रीय उद्यान है।
- यह राष्ट्रीय गागरोनी तोते (हीरामन तोता) के लिए प्रसिद्ध है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में तीन प्रमुख पर्यटन स्थल अबली मीणी का महल, रावण महल, भीमचोरी मंदिर स्थित है।
- यह राष्ट्रीय उद्यान राष्ट्रीय राजमार्ग 52 (पुराना क्रमांक-12) पर स्थित है।
राजस्थान में बाघ परियोजना:-
- राजस्थान में तीन बाघ परियोजना है।
- भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम वर्ष 1972 के तहत जोधपुर निवासी डॉ. कैलाश साँखला (टाईगर मैन ऑफ इण्डिया) द्वारा 1 अप्रैल, 1973 को भारत में बाघ परियोजना का प्रारम्भ हुआ।
- पहली बाघ परियोजना जिम कार्बेट (उत्तराखण्ड) में बनाई गई।
- राजस्थान में बाघ परियोजना का प्रारम्भ वर्ष 1974 में किया गया।
- राजस्थान की पहली बाघ परियोजना रणथम्भौर टाईगर प्रोजेक्ट है जिसे देश में बाघों का घर कहते हैं जो सवाई माधोपुर में स्थित है।
- यहाँ पर राजस्थान की पहली टाईगर ‘सफारी’ शुरू की गई।
- राजस्थान की दूसरी बाघ परियोजना सरिस्का (अलवर) में हैं जिसे वर्ष 1979 में ‘टाईगर प्रोजेक्ट’ का दर्जा दिया गया।
- राजस्थान की तीसरी बाघ परियोजना मुकुन्दरा हिल्स (कोटा-झालावाड़) में है जिसे 10 अप्रैल, 2013 को टाईगर प्रोजेक्ट का दर्जा दिया गया।
रामसर साइट:-
- जिसे आर्द्र भूमि क्षेत्र, नम भूमि क्षेत्र वेटलैण्ड जॉन क्षेत्र का दर्जा दिया जाता है।
- वर्ष 1971 में रामसर (ईरान) में आर्द्र भूमि क्षेत्र में संरक्षण हेतु प्रथम वैश्विक सम्मेलन हुआ। इस वैश्विक सम्मेलन में विश्व में जो भी आर्द्र भूमि है उसको संरक्षित करने के लिए या उनको बचाने के लिए रामसर समझौता किया गया।
- इस समझौते के तहत जिन स्थानों का चयन किया गया उन स्थानों को रामसर साइट की संज्ञा दी गई और यह समझौता वर्ष 1975 में लागू हुआ।
- भारत रामसर समझौते का सदस्य वर्ष 1982 में बना।
- वर्तमान राजस्थान में दो रामसर साइट है-
1. केवलादेव घना पक्षी विहार (भरतपुर)
2. सांभर झील (जयपुर)
राजस्थान के वन्यजीव अभयारण्य:-
वन्यजीव अभयारण्य:-
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत विशिष्ट प्रजातियों के लिए आरक्षित क्षेत्र।
- वन्यजीव अभयारण्य का संचालन केन्द्र व राज्य सरकार मिलकर करते हैं।
- राजस्थान में 26 वन्यजीव अभयारण्य है।
1. राष्ट्रीय मरु उद्यान:-
- यह जैसलमेर-बाड़मेर क्षेत्र में फैला हुआ है।
- यह क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा वन्यजीव अभयारण्य है जिसका क्षेत्रफल जैसलमेर में 1900 वर्ग कि.मी. व बाड़मेर में 1262 वर्ग कि.मी. (कुल 3162 वर्ग कि.मी.) है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1981 में की गई लेकिन ये राष्ट्रीय उद्यान नहीं है फिर भी इसके आगे राष्ट्रीय शब्द का प्रयोग किया गया है क्योंकि वर्ष 1981 में केवलादेव घना पक्षी विहार को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया। इस कारण इसे आगे राष्ट्रीय शब्द का प्रयोग किया गया है।
- यह गोड़ावण की आश्रय स्थली है।
- यहाँ आंकल गाँव जीवाश्म पार्क स्थित है जहाँ से जुरैसिक कालीन प्राकृतिक वनस्पति के अवशेष और यहाँ डायनासोर के अण्डे के अवशेष भी मिले हैं।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में एण्डरसन टॉड (मेढ़क की प्रजाति) व रेसल्स वाइपर (जहरीले साँप की प्रजाति) पीवणा साँप और कोबरा साँप की प्रजातियाँ पाई जाती है।
- यह वन्यजीव अभयारण्य राष्ट्रीय राजमार्ग-68 पर स्थित है।
2. माउण्ट आबू अभयारण्य:-
- यह सिरोही जिले में स्थित है।
- यह जंगली मुर्गों के लिए प्रसिद्ध है।
- यहाँ पर एक विशेष प्रकार की डिकिल्पटेरा आबू एन्सिस घास पाई जाती है जिसे स्थानीय भाषा में ‘कारा’ कहा जाता है।
- इस अभयारण्य को जून, 2009 में राजस्थान का पहला ‘इको सेन्सेटिव जोन’ (पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र) घोषित किया गया।
- यहाँ पर राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी गुरु शिखर स्थित है।
3. तालछापर अभयारण्य:-
- यह चूरू जिले में स्थित है।
- यह कृष्ण मृग के लिए प्रसिद्ध है।
- यहाँ पर विशेष प्रकार की मुलायम मोचिया घास (साइप्रस रोण्टेडस) पाई जाती है।
- यह प्रवासी पक्षी-कुरजां की शरण स्थली है।
- यहाँ पर प्रसिद्ध ऋषि द्रोणाचार्य की तपो स्थली स्थित है।
4. सीतामाता अभयारण्य:-
- यह प्रतापगढ़ जिले में स्थित है।
- इसका नामकरण सीतामाता मंदिर तथा लव-कुश जल स्रोत के आधार पर किया गया।
- यहाँ लक्ष्मण झुला स्थित है।
- यह अभयारण्य चीतल की मातृभूमि व उड़न गिलहरी के लिए प्रसिद्ध है।
- यह सागवान वृक्ष के लिए प्रसिद्ध है।
- यह हिमालय के बाद सर्वाधिक औषधियों वाला अभयारण्य है।
- यहाँ जाखम नदी पर स्थित जाखम बाँध सीतामाता अभयारण्य (प्रतापगढ़) में स्थित है।
- यह अभयारण्य राष्ट्रीय राजमार्ग-56 पर स्थित है।
- यहाँ रात्रिचर प्राणी-आडा हुला (पैंगुलिन) पाया जाता है।
5. चम्बल अभयारण्य:-
- यह कोटा जिले में स्थित है।
- राजस्थान के सर्वाधिक जिलों में विस्तृत अभयारण्य है। (राणा प्रतापसागर बाँध से यमुना नदी तक) चितौड़गढ़, बूँदी, कोटा, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर तक है।
- यह अभयारण्य तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में विस्तृत है।
- ये अभयारण्य घड़ियाल तथा मगरमच्छ के लिए प्रसिद्ध है।
- यहाँ राष्ट्रीय जलीय जीव (गांगेय डॉल्फिन/शिशुमार/सूस) पाई जाती है।
- यह अभयारण्य जलीय जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
6. जवाहर सागर अभयारण्य:-
- यह कोटा जिले में स्थित है।
- यह अभयारण्य घड़ियाल तथा मगरमच्छ की प्रजनन स्थली व जलीय जैव विविधता संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है।
- इस अभयारण्य में गेपरनाथ मंदिर व गड़रिया महादेव मंदिर स्थित है।
7. सरिस्का अभयारण्य:-
- यह अलवर जिले में स्थित है।
- यह अभयारण्य हरे कबूतर के लिए प्रसिद्ध है।
- यह राजस्थान में मोर की सर्वाधिक घनत्व वाला अभयारण्य है।
- यहाँ पर भृतहरि की समाधि स्थल स्थित है।
8. सरिस्का-(A):-
- यह क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे छोटा अभयारण्य है जो अलवर जिले में स्थित है।
9. शेरगढ़ अभयारण्य:-
- यह बाराँ जिले में परवन नदी के किनारे पर स्थित है।
- यह साँपों तथा चिरौंजी वृक्ष के लिए प्रसिद्ध है।
10. भैसरोड़गढ़ अभयारण्य:-
- यह चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।
- यहाँ चूलिया जल-प्रपात तथा मानदेसरा का पठार स्थित है।
11. बस्सी अभयारण्य:-
- यह चितौड़गढ़ जिले में स्थित है।
12. रामसागर अभयारण्य:-
- यह धौलपुर जिले में स्थित है।
13. वन विहार अभयारण्य:-
- यह धौलपुर जिले में स्थित है।
14. केसरबाग अभयारण्य:-
- यह धौलपुर जिले में स्थित है।
15. केलादेवी अभयारण्य:-
- यह करौली जिले में स्थित है।
कुम्भलगढ़ अभयारण्य:-
- यह राजस्थान के तीन जिलों राजसमंद-पाली-उदयपुर में विस्तृत है।
- यह जंगली भेड़ियों व उनकी प्रजनन स्थली के लिए प्रसिद्ध है।
- इस अभयारण्य में चन्दन वृक्ष पाए जाते हैं।
- यहाँ रणकपुर जैन मंदिर (पाली) मथाई नदी के किनारे पर स्थित है।
रामगढ़ विषधारी अभयारण्य:-
- यह बूँदी जिले में स्थित है।
- यहाँ बाघ परियोजना के अतिरिक्त राजस्थान में सर्वाधिक बाघ विचरण करते हैं।
- कुराल नदी (चम्बल की सहायक नदी) की सहायक नदी मेज नदी का उद्गम स्थल इस अभयारण्य से हैं।
फुलवारी की नाल अभयारण्य:-
- यह उदयपुर जिले में स्थित है।
- इस अभयारण्य में सोम नदी (माही की सहायक नदी) व मानसी वाकल नदी (साबरमती की सहायक नदियाँ) का उद्गम स्थल स्थित है।
- सोम नदी उदयपुर में बिच्छामेड़ा की पहाड़ियों से निकलती है।
- मानसी-वाकल पर राजस्थान की सबसे लम्बी जल सुरंग ‘देवास जल सुरंग’ इसी अभयारण्य में स्थित है।
जयसमंद अभयारण्य:-
- यह उदयपुर में स्थित है।
- यह बघेरों के लिए प्रसिद्ध है तथा इसे जलचरों की बस्ती कहा जाता है।
सज्जनगढ़ अभयारण्य:-
- यह उदयपुर जिले में स्थित है।
- यह राजस्थान का क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरा सबसे छोटा वन्यजीव अभयारण्य है।
- यहाँ राजस्थान का दूसरा जैविक-पार्क स्थित है।
- यह अभयारण्य बासदरा की पहाड़ियों पर स्थित है।
रावली टॉडगढ़ अभयारण्य:-
- यह अजमेर में स्थित है व इसके अलावा ये पाली, राजसमंद में स्थित है।
- रावली टॉडगढ़ में टॉडगढ़ दुर्ग स्थित है। इसी दुर्ग में ही विजयसिंह पथिक को कैद किया गया।
जमुवा-रामगढ़ अभयारण्य:-
- यह जयपुर जिले में स्थित है।
- इसमें सर्वाधिक धौंक वृक्ष पाए जाते हैं।
नाहरगढ़ अभयारण्य:-
- यह जयपुर जिले में स्थित है।
- यहाँ पर राजस्थान का पहला जैविक उद्यान स्थित है।
आखेट निषिद्ध क्षेत्र:-
- ऐसे क्षेत्र जहाँ शिकार करने पर प्रतिबंध हो, वह आखेट निषिद्ध क्षेत्र कहलाता है।
- भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत राजस्थान के 17 जिलों में 33 आखेट निषिद्ध क्षेत्र की स्थापना की गई।
राजस्थान में सर्वाधिक आखेट निषिद्ध क्षेत्र:-
जोधपुर:-
- 7 आखेट निषिद्ध क्षेत्र- देचू, डोली, गुढ़ा विश्नोईयाँ, फिटकासनी, लोहावट, जम्मेश्वर नगर, साथीन।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा आखेट निषिद्ध क्षेत्र:- संवत्सर-कोटसर (चूरू) – 7094.04 वर्ग कि.मी.।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा आखेट निषिद्ध क्षेत्र:- कनक सागर (बूँदी) – 1 वर्ग कि.मी.।
- भारत का पहला गोड़ावण ब्रीडिंग सेन्टर ‘सोरसन’ (बाराँ) जिले में स्थित है।
- राजस्थान में कुरजां (प्रवासी पक्षी) आखेट निषिद्ध क्षेत्र में आते हैं- सौंखलिया (अजमेर), सोरसन (बाराँ) में स्थित है।
बीकानेर:- बज्जु, देशनोक, दीमात्रा, मुकाम, जोहड़ बीड़
अजमेर:- सौंखलिया, गंगलाव, तिलोरा।
जैसलमेर:- रामदेवरा, उज्जला।
जयपुर:- महला, संथाल सागर।
अलवर:- बरदोद, जौड़िया।
नागौर:- रोटू, जरोदा।
सवाई-माधोपुर:- कंवाल जी।
टोंक:- रानीपुर।
पाली:- जवाई बाँध।
जालोर:- सांचौर।
बाड़मेर:- धौरिमन्ना।
उदयपुर:- बागदड़ा।
राजस्थान में संरक्षित क्षेत्र:-
- बांसियाल (खेतड़ी-झुंझुनूँ) वर्ष 2017 – नवीनतम और इसे भी दो भागों में विभाजित किया गया- भाग भ्ससगA तथा भाग B ।
राजस्थान के मृगवन:-
राजस्थान में जंतुआलय:-
- जयपुर जंतुआलय – जयपुर (1876)
- उदयपुर जंतुआलय – उदयपुर (1878)
- बीकानेर जंतुआलय – बीकानेर (1922)
- जोधपुर जंतुआलय – जोधपुर (1936)
- कोटा जंतुआलय – कोटा (1954)
राजस्थान में जैविक उद्यान:-
- नाहरगढ़ (जयपुर) – दरियाई घोड़ा/लॉमन सफारी/बीयर रेस्क्यू सेंटर स्थित है।
- सज्जनगढ़ (उदयपुर) – प्राकृतिक वनस्पति
- माचिया सफारी (जोधपुर) – गोड़ावण की प्रजनन केन्द्र/गिद्ध रेस्क्यू सेंटर स्थित है।
- मरुधरा (बीकानेर) – मरुस्थलीय वनस्पति।
- अभेड़ा (कोटा) – जलीय जैव विविधता।